पलटू साहब की कुण्डलिया

जय गुरु!

पद संख्या
विषय-क्रम
विषय-वस्तु
पलटू साहिब की बानी
101*01गुरुदेवपूरा सतगुरु मिले जो पूजै मन की प्रास
201*02गुरुदेवसतगुरु सिकलीगर मिलैं तब छुटै पुराना दाग
301*03गुरुदेवसरबंगी कोउ एक है राखै सब की लाज
401*04गुरुदेवपर स्वारथ के कारने संत लिया औतार
501*05गुरुदेवधुन आनै जो गगन की सो मेरा गुरुदेव
601*06गुरुदेवनाव मिली केवट नहीं कैसे उतरै पार
701*07गुरुदेवधुबिया फिर मर जायगा चादर लीजै धोय
801*08गुरुदेवसाहिब वही फकीर है जो कोइ पहुँचा होय
901*09गुरुदेवरैयत कौन कहावै घर घर हाकिम होय
1001*10गुरुदेवजग खीझै तो का भया रीझै सतगुरु संत
1102*01नामनाम नाम सब कहत है नाम न पाया कोय
1202*02नामलहना है सतनाम का जो चाहै सो लेय
1302*03नाममीठ बहुत सतनाम है पियत निकारै जान
1402*04नामसंत सनेही नाम है नाम सनेही संत
1502*05नामदीपक बारा नाम का महल भया उजियार
1602*06नामनाम केरे परताप से भये आन कै आन
1702*07नामदेखौ नाम प्रताप से सिला तिरै जल बीच
1802*08नामहाथी घोड़ा खाक है कहै सुनै सो खाक
1902*09नामहाथ जोरि आगे मिलै लै लै भेट अमीर
2003*01सामर्थअदल होइ बैकुण्ठ में सब कोई पावै सुक्ख
2103*02सामर्थदेत लेत हैं आपुहीं पलटू पलटू सोर
2204*01संत और साधबड़ा होय तेहि पूजिये संतन किया बिचार
2304*02संत और साधसीतल चन्दन चन्द्रमा तैसे सीतल संत
2404*03संत और साधसंत बराबर कोमल दूसर को चित नाहिं
2504*04संत और साधराम समीपी संत हैं वे जो करैं सो होय
2604*05संत और साधसंत सासना सहत हैं जैसे सहत कपास
2704*06संत और साधसंतन के सिर ताज है सोई संत होइ जाय
2804*07संत और साधतीन लोक से जुदा है उन संतन की चाल
2904*08संत और साधफाका जिकर किनात ये तीनों बात जगीर
3004*09संत और साधकबही फाका फकर है कबही लाख करोर
3104*10संत और साधसाध महातम बड़ा है जैसो हरि यस होय
3205*01भक्त जनहरि हरिजन को दुइ कहै. सो नर नरकै जाय
3305*02भक्त जनहरि अपनो अपमान सह जन की सही न जाय
3405*03भक्त जनकाम क्रोध जिनके नहीं लगै न भूख पियास
3505*04भक्त जनना काहू से दुष्टता ना काहू से रोच
3606*01पाखंडीपिसना पीसै राँड़ री पिउ पिउ करै पुकार
3706*02पाखंडीपर दुख कारन दुख सहै सन असंत है एक
3806*03पाखंडीबिस्वा किये सिंगार है बैठी बीच बजार
3906*04पाखंडीहवा हिरिस पलटू लगी नाहक भये फकीर
4006*05पाखंडीजौं लगि फाटै फिकिर ना गई फकीरी खोय
4107*01चितावनीक्या सोवै तू बावरी चाला जात बसंत
4207*02चितावनीखेलु सिताबी फाग तू बीती जात बहार
4307*03चितावनीतू क्यों गफलत में फिरै सिर पर बैठा काल
4407*04चितावनीगरमै गरमै हेलुवा गंफा लीजै मारि
4507*05चितावनीसुर नर मुनि जोगी जती सभै काल बसि होय
4607*06चितावनीचोला भया पुराना आज फटै की काल
4707*07चितावनीधूआँ का धौरेहरा ज्यों बालू की भीत
4807*08चितावनीयही दिदारी दार है सुनहु मुसाफिर लोग
4907*09चितावनीआग लगी लंका दहै उन्चासौ बही बयार
5007*10चितावनीभजन आतुरी कीजिये और बात में देर
5107*11चितावनीयही समय गुरु पाँय में गोता लीजै खाय
5207*12चितावनीभया तगादा साहु का गया बहाना भूल
5307*13चितावनीकाल महासिल साहु का सिर पर पहुँचा आय
5407*14चितावनीज्यों ज्यो सूखै ताल है त्यों-त्यों मीन मलीन
5507*15चितावनीबूड़ी जात जहाज है नाम निवर्तिक बोल
5608*01भक्तिएक भक्ति मैं जानों और झूठ सब बात
5708*02भक्तिसंत न चाहैं मुक्ति को नहीं पदारथ चार
5808*03भक्तिऐसी भक्ति चलावै मची नाम की कीच
5909*01प्रेममेरे तन तन लग गई पिय की मीठी बोल
6009*02प्रेमपिय को खोजन मैं चली आपुइ गई हिराय
6109*03प्रेममगन भई मेरी माइजी जब से पाया कंथ
6209*04प्रेमआठ पहर निरखत रहै जैसे चन्द चकोर
6309*05प्रेमअम्मा मेरा दिल लगा मुझ से रहा न जाय
6409*06प्रेमसीस उतारै हाथ से सहज आसिकी नाहिं
6509*07प्रेमभूली जग को चाल सब भई जोगिनि अलमस्त
6609*08प्रेमफनि से मनि ज्यों बीछुरै जल से बिछुरै मीन
6709*09प्रेमप्रेम बान जा के लगा सो जानैगा पीर
6809*10प्रेमअपने पिया की सुन्दरी लोग कहैं बौरान
6909*11प्रेमसतगुरु सब्द के सुनत ही तन की सुधि रहि जात
7009*12प्रेमकी तौ इक ठौरै रहै की दुइ में इक मरि जाय
7109*13प्रेमयह तो घर है प्रेम का खाला का घर नाहिं
7209*14प्रेमआसिक का घर दूर है पहुँचै बिरला कोय
7309*15प्रेमजहाँ तनिक जल बीछुड़ै छोड़ि देतु है प्रान
7409*16प्रेमजो मैं हारौं राम की जो जीतौं तौ राम
7510*01बिस्वासलगन महूरत झूठ सब और बिगाड़ै काम
7610*02बिस्वासमोर राम मैं राम का ता से रहौं निसंक
7710*03बिस्वासमगन आपने ख्याल में भाड़ परै संसार
7811*01सतसंगजो कोउ चाहै अभय पद जाइ करै सतसंग
7911*02सतसंगबैरागिनि भूली आप में जल में खोजै राम
8011*03सतसंगमलया के परसंग से सीतल होवत साँप
8111*04सतसंगपारस के परसंग से लोहा महँग बिकान
8211*05सतसंगफिर फिर नहीं दिवारी दियना लीजै बार
8311*06सतसंगजंगल जंगल मैं फिरौं घर में रहै सिकार
8411*07सतसंगबिन खाये चित चैन नहिं खाये आलस होय
8511*08सतसंगजो जो गा सतसंग में सो सो बिगरा जाय
8611*09सतसंगपलटू मेरी बनि परी मुद्दा हुआ तमाम
8712*01सतसंग अनधिकारी कोसतगुरु सब को देत हैं लेता नाहीं कोय
8813*01शब्दसबद छुड़ावै राज को सबदै करै फकीर
8913*02शब्दसुरत सब्द के मिलन में मुझ को भया अनंद
9013*03शब्दजोग जुगत आसन नहीं साधन नहीं बिबेक
9114*01ध्यानकमठ दृष्टि जो लावई सो ध्यानी परमान
9214*02ध्यानजैसे कामिनि के बिषय कामी लावै ध्यान
9315*01घट मठसाहिब साहिब क्या करै साहिब तेरे पास
9415*02घट मठदिल में आवै है नजर उस मालिक का नूर
9515*03घट मठखोजत खोजत मरि गये घर ही लागा रंग
9615*04घट मठनजर मँहै सब की पड़ै कोऊ देखै नाहिं
9716*01दासपहिले दासातन करै सो बैराग प्रमान
9816*02दासका जानी केहि औसर साहिब ताकै मोर
9916*03दासखामिन्द कब गोहरावै चाकर रहै हजूर
10017*01सूरमासंत चढ़े मैदान पर तरकस बाँधे ज्ञान
10117*02सूरमाबाना बाँधै लड़ि मरै संत सिपाहि क पूत
10217*03सूरमाकाया कोट छुडावै सोई है रजपूत
10317*04सूरमासंत चढ़ै जो मोह पर काया नगर मँझार
10417*05सूरमालागी गोली नाम की पलटू गया है लोट
10517*06सूरमालागी गाँसी सबद की पलटू मुआ तुरन्त
10617*07सूरमाजियते मरना भला है नाहिं भला बैराग
10718*01पतिव्रतापतिबरता को लच्छन सब से रहै अधीन
10818*02पतिव्रतासोई सती सराहिये जरै पिया के साथ
10919*01उपदेशहरि को दास कहाय के गुनह करै ना कोय
11019*02उपदेशअपनी ओर निभाइये हारि परै की जीति
11119*03उपदेशकाजर दिहे से का भया ताकन को ढव नाहिं
11219*04उपदेशजाकी जैसी भावना तासे तस ब्यौहार
11319*05उपदेशटेढ़ सोझ मुँह प्रापना ऐना टेढ़ा नाहिं
11419*06उपदेशफूली है यह केतकी भौंरा लीजै बास
11519*07उपदेशगुरु की भक्ति और माया ज्यों छूरी तरबूज
11619*08उपदेशपलटू जो सिर ना नवै बिहतर कद्दू होय
11719*09उपदेशराम कृस्न परसराम ने मरना किया कबूल
11819*10उपदेशसमुझावै सो भी मरै पलटू को पछिताय
11919*11उपदेशतुझे पराई क्या परी अपनी ओर निबेर
12019*12उपदेशबहता पानी जात है धोउ सिताबी हाथ
12119*13उपदेशजिन जिन पाया बस्तु को तिन तिन चले छिपाय
12219*14उपदेशबीज बासना को जरै तब छूटै संसार
12319*15उपदेशतो कहँ कोऊ कछु कहै कीजै अपनो काम
12419*16उपदेशइहाँ उहाँ कुछ है नहीं अपने मन का फेर
12519*17उपदेशमन की मौज से मौज है और मौज किहि काम
12619*18उपदेशजो साहिब का लाल है सो पावैगा लाल
12719*19उपदेशजीव जाय तो जाय दे जन्म जाय बरु नष्ट
12819*20उपदेशखोजत हीरा को फिरै नहीं पोत को दाम
12919*21उपदेशमूरख को समुझाइये नाहक होइ अकाज
13019*22उपदेशतीन लोक पेरा गया बिना बिचार बिबेक
13119*23उपदेशलोक लाज कुल छाड़ि कै करि लो अपना काम
13219*24उपदेशतन मन लज्जा खोइ कै भक्ति करौ निर्धार
13319*25उपदेशलोक लाज नहिं मानिहौ तन मन लज्जा खोय
13419*26उपदेशजेहि सुमिरे गनिका तरी ता को सुमिरु गँवार
13519*27उपदेशज्यों ज्यों भीजै कामरी त्यों त्यों गरुई होय
13619*28उपदेशवे बोलैं मैं चुप रहौं आपुइ जाते हारि
13719*29उपदेशजौं लगि लाग हाथ ना करम न कीजै त्याग
13819*30उपदेशदुइ पासाही फकर की इक दुनियाँ इक दीन
13919*31उपदेशचोर मूँसि घर पहुँचा मूरख पहरा दे
14019*32उपदेशपलटू ऐसे दास को भरम करै संसार
14119*33उपदेशबूझि समझि ले बालके पाछे तौ सिर खोलु
14219*34उपदेशपलटू नीच से ऊँच भा नीच कहै ना कोय
14319*35उपदेशहस्ती बिनु मारे मरै करै सिंह को संग
14419*36उपदेशउपजै बस्तु सुभाव तें अपनी अपनी खानि
14519*37उपदेशभक्ति बीज जब बोवै निसि दिन करै बिबेक
14619*38उपदेशपलटू सरबस दीजिये मित्र न कीजै कोय
14719*39उपदेशख्वा टूटै ख्वा फाटै कहिये परदा खोल
14820*01ज्ञानपरदा अंदर का टरै देखि परै तब रूप
14920*02ज्ञानसमुझाये से क्या भया जब ज्ञान आपु से होय
15020*03ज्ञानज्ञान समाधि जा को मिली सो क्या लावै ध्यान
15120*04ज्ञानसमुझे को समुझावैं हीरा आगे पोत
15220*05ज्ञानअपनी अपनी करनी अपने अपने साथ
15320*06ज्ञानसरबंगी जो नाम कै रहनी सहित बिबेक
15421*01शरण और ब्रत (टेक)करम धरम सब छाड़ि कै पड़े सरन में आय
15521*02शरण और ब्रत (टेक)पलटू सोवै मगन में साहिब चौकीदार
15621*03शरण और ब्रत (टेक)कोउ कितनौ चुगुली करै सुनै न बात हमार
15721*04शरण और ब्रत (टेक)जौन काछ को काछिये नाच नाचिये सोय
15821*05शरण और ब्रत (टेक)साधु को ऐसा चाहिये ज्यों सिसु३ अड़नि अड़ै
15922*01बिनयपतितपावन बाना धर्यो तुमहिं परी है लाज
16022*02बिनयदीनन पर दाया करौ सुनिये दीनदयाल
16122*03बिनयपलटू पूछै हंस से बिनती कै कर जोर
16223*01दीनतामन मिहीन करि लीजिये जब पिउ लागै हाथ
16323*02दीनताजोग जुगत ना ज्ञान कछु गुरु दासन को दास
16423*03दीनतादूसर पलटू इक रहा भक्ति दई तेहि जान
16524*01मानमान बड़ाई कारने पचि मूआ संसार
16624*02मानखुदी खोय को खोवै सोई है दुरवेस
16724*03मानसब कोइ पीवै कूप जल खारी पड़ा समुन्द
16824*04मानबढ़ते बढ़ते बढ़ि गये जैसे बढ़ी खजूर
16925*01भेदउलटा कूवा गगन में तिस में जरै चिराग
17025*02भेदबंसी बाजी गगन में मगन भया मन मोर
17125*03भेदचढ़ै चौमहले महल पर कुंजी आवै हाथ
17225*04भेदचाँद सुरज पानी पवन नहीं दिवस नहिं रात
17325*05भेदबिनु कागद बिनु अच्छरे बिनु मसि से लिखि देय
17425*06भेदझंडा गड़ा है जाय के हद बेहद के पार
17525*07भेदजागत में एक सूपना मोहिं पड़ा है देख
17626*01अद्वैतजल से उठत तरंग है जल ही माहिं समाय
17726*02अद्वैतकोटिन जुग परलय गई हमहीं करनेहार
17826*03अद्वैतआदि अंत हम हीं रहे सब में मेरो बास
17927*01उलटावतीगंगा पाछे को बही मछरी चढ़ी पहार
18027*02उलटावतीखसम विचारा मरि गया जोरू गावै तान
18127*03उलटावतीखसम मुवा तौ भल भया सिर की गई बलाय
18228*01मनमन मारे मरता नहीं कीन्हे कोटि उपाय
18329*01मायामाया ठगनी जग ठगा इकहै ठगा न कोय
18429*02मायामाया बड़ी बहादुरी लूटि लिहा संसार
18529*03मायामाया की चक्की चलै पीसि गया संसार
18629*04मायानागिनि पैदा करत है आपुइ नागिनि खाय
18729*05मायाकुसल कहाँ से पाइये नागिनि के परसंग
18829*06मायापूरब पच्छिम उत्तर दक्खिन देखा चारिउ खूँट
18929*07मायामन माया छोड़े नहीं बझै आपु से जाय
19030*01अज्ञानताघर में जिन्दा छोड़ि कै मुरदा पूजन जायँ
19130*02अज्ञानताजियतै देइ गिरास ना मुए परावै पिंड
19230*03अज्ञानतापानी का को देइ प्यास से मुवा मसाफिर
19330*04अज्ञानतालहँगा परिगा दाग फूहरि साबुन से धोवै
19430*05अज्ञानताअँधरन केरि बजार में गया एक डिठियार
19530*06अज्ञानतासब अँधरन के बीच एक है काना राजा
19631*01दुष्टअपकारी जिव जाहिंगे पलटू अपने आप
19731*02दुष्टबनियाँ बानि न छोड़ै पसँघा मारे जाय
19831*03दुष्टसंत रतन की कोठरी कुंजी दुष्टन हाथ
19932*01कर्म भर्म्म-देई देवाअंजन देय न ज्ञान का अंधा भया बनाय
20032*02कर्म भर्म्म-देई देवाजौं लगि परदा पड़ा है धोखा रहा समाय
20132*03कर्म भर्म्म-देई देवाबस्तु धरी है पाछे आगे लिहिनि तकाय
20232*04कर्म भर्म्म-देई देवाझूठै में सब जग चला छिल छिल जाता अंग
20332*05कर्म भर्म्म-देई देवालड़िका चूल्हे में लुका ढूँढ़त फिरै पहार
20432*06कर्म भर्म्म-देई देवासूधी मारग मैं चलौं हँसै सकल संसार
20532*07कर्म भर्म्म-देई देवाभरमि भरमि सब जग मुवा झूठा देवा सेव
20632*08कर्म भर्म्म-देई देवासंत चरन को छोड़ि कै पूजत भूत बैताल
20732*09कर्म भर्म्म-देई देवालिये कुल्हाड़ी हाथ में मारत अपने पाँय
20832*10कर्म भर्म्म-देई देवासात पुरी हम देखिया देखे चारो धाम
20932*11कर्म भर्म्म-देई देवाघर में मेवा छोड़ि के टेंटी बीनन जाय
21032*12कर्म भर्म्म-देई देवालम्बा घूँघट काढ़ि कै लगवारन से प्रीति
21132*13कर्म भर्म्म-देई देवाबहुत पुरुष के भोग से बिस्वा होइ गई बाँझ
21232*14कर्म भर्म्म-देई देवापलटू तन करु देवहरा मन करु सालिगराम
21332*15कर्म भर्म्म-देई देवासूधी मेरी चाल है सब को लागै टेढ़
21432*16कर्म भर्म्म-देई देवामैं अपने रँग बावरी जरि जरि मरते लोग
21533*01जीव-हिंसालहम कुल्लहुम जिसिम का नबी किया फर्मूद
21633*02जीव-हिंसागरदन मारै खसम की लगवारन के हेत
21734*01जाति भेदहरि को भजै सो बड़ा है जाति न पूछै कोय
21834*02जाति भेदसाहिब के दरबार में केवल भक्ति पियार
21934*03जाति भेदगनिका गिद्ध अजामिल सदना औ रैदास
22035*01निन्दकनिन्दक जीवै जुगन जुग काम हमारा होय
22135*02निन्दकनिन्दक रहै जो कुसल से हम को जोखों नाहिं
22235*03निन्दकनिन्दक है परस्वारथी करै भक्त का काम
22336*01मिश्रितबनिया पूरा सोई है जो तौलै सत नाम
22436*02मिश्रितभीतर औं टै तत्व को उठै सबद की खानि
22536*03मिश्रितबार बार बिनती करै पलटूदास न लेइ
22636*04मिश्रितसुरति सुहागिनि उलटि कै मिली सबद में जाय
22736*05मिश्रितकहँ खोजन को जाइये घरहीं लागा रंग
22836*06मिश्रितमन माया में मिलि गया मारा गया बिबेक
22936*07मिश्रितदेखो जिउ की खोय को फिर फिर गोता खाय
23036*08मिश्रितमुए पार की बात है फिरै न कोऊ एक
23136*09मिश्रितचिन्ता रूपी अगिन में जरै सकल संसार
23236*10मिश्रितजा को निरगुन मिला है भूला सरगुन चाल
23336*11मिश्रितअमृत को सागर भर् यो देखे प्यास न जाय
23436*12मिश्रितजैस नद्दी एक है बहुतेरे हैं घाट
23536*13मिश्रितसाध बचन साचा सदा जो दिल साचा होय
23636*14मिश्रितमहीं भुलाना फिरत हौं कि जगतै गया भुलाय
23736*15मिश्रितजगत भगत से बैर है चारो जुग परमान
23836*16मिश्रितलेहु परोसिनि झोपड़ा नित उठि बाढ़त रार
23936*17मिश्रितसिध चौरासी नाथ नौ बीचै सभै भुलान
24036*18मिश्रितहंस चुगैं ना घोंघी सिंह चरै न घास
24136*19मिश्रितकृस्न कन्हैया लाल है वह गोकुल के घाट
24236*20मिश्रितगिरहस्थी में जब रहे पेट को रहे हैरान
24336*21मिश्रितभरि भरि पेट खिलाइये तब रीझैगा भेष
24436*22मिश्रितकौड़ी गाँठिन राखई हमा-नियामत खाय
24536*23मिश्रितजब देखो तब सादी नौबत आठौ पहर
24636*24मिश्रितरन का चढ़ना सहज है मुसकिल करना जोग
24736*25मिश्रितआगि लागि मसि जरि गई कागद जरै न कोय
24836*26मिश्रिततबक चारदह अन्दर है अस्थल बे दरियाव
24936*27मिश्रितबस्ती माहिं चमार की बाम्हन करत बेगार
25036*28मिश्रितकुत्ता हाँड़ी फँसि मुवा दोस परोसि क देय
25136*29मिश्रितजा के रथ पर राम हैं को करि सकै अकाज
25236*30मिश्रितहोनी रही सो ह्वै गई रोइ मरै संसार
25336*31मिश्रितसिव सक्ती के मिलन में मो कौ भयौ अनन्द
25436*32मिश्रितऐसा ब्राह्मन मिलै जो ताके परछौं पाँय
25536*33मिश्रितसब बैरागी बटुरि कै पलटुहि किया अजात
25636*34मिश्रितहींग लगाइस भात में भूल गई है नार
25736*35मिश्रितघरिया औटै तत्व की परै नाम टकसार
25836*36मिश्रितसतगुरु के परताप से पकरा पाँचो चोर
25936*37मिश्रितदूसर जनमत मारिये की बरु रहिये बाँझ
26036*38मिश्रितआगि लगो वहि देस में जहँवाँ राजा चोर
26136*39मिश्रितयह अचरज हम देखिया कानी काजर देइ
26236*40मिश्रितमुसलमान रब्बी मेरी हिन्दू भया खरीफ
26336*41मिश्रितनाचन को ढँग नाहिं है कहती आँगन टेढ़
26436*42मिश्रितपलटू खोजै पूरबे घर में है जगन्नाथ
26536*43मिश्रितआन को सेंदुर देखि कै तू का फोरै लिलार
26636*44मिश्रितपलटू पारस नाम का मनै रसायन होय
26736*45मिश्रितकहत फिरत हम जोगी, पक्का दुइ सेर खाय
26836*46मिश्रितजल पषान को छोड़ि कै पूजौ आतम देव
Showing entries (filtered from total entries)

श्री सद्गुरु महाराज की जय!
* गुरु आश्रित महाशय कैलाश प्रसाद चौधरी जी , कटिहार (बिहार) की सहायता एवं पूर्ण समर्पण से पुष्पित *